Nithari Kand , भारत का सबसे भयानक हत्याकांड। जानें कैसे 2006 में बच्चों की रहस्यमयी हत्याओं ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया।
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2006 का दिसंबर भारतीय इतिहास में एक ऐसा अध्याय बन गया जिसे शायद ही कोई भूल पाए। नोएडा के निठारी गांव में हुए इस हत्याकांड ने पूरे देश को हिला कर रख दिया। बच्चों के गायब होने की खबरों ने जब एक दर्दनाक मोड़ लिया, तो यह मामला निठारी कांड (Nithari Kand) के रूप में सामने आया। इस भयानक हत्याकांड में मनिंद्र सिंह पंडेर और उनके नौकर सुरेंद्र कोली का नाम सामने आया, जिन्हें बाद में गिरफ्तार कर लिया गया। लेकिन कहानी का अंत इतना सरल नहीं था। 18 साल बाद इन अपराधियों को बरी कर दिया गया, और यह निर्णय पीड़ित परिवारों के लिए एक बड़ा झटका साबित हुआ।
Nithari Kand की शुरुआत: बच्चों का गायब होना
साल 2005 में नोएडा सेक्टर 31 के पास निठारी गांव में बच्चों के गायब होने की घटनाएं अचानक बढ़ने लगीं। ज्यादातर गायब होने वाले बच्चे गरीब परिवारों से थे, जिनकी खोजबीन पुलिस ने गंभीरता से नहीं की। लोगों ने शुरुआत में इन घटनाओं को अंधविश्वास से जोड़ दिया। कोठी नंबर D-5 के आसपास रहस्यमयी घटनाएं होती थीं, और यहां से बच्चों के गायब होने की खबरें आती रहीं।
मनिंद्र सिंह पंडेर और सुरेंद्र कोली: कोठी के अंदर का अंधेरा
मनिंद्र सिंह पंडेर, एक संपन्न और प्रतिष्ठित परिवार से थे, जो निठारी गांव में कोठी नंबर D-5 में रहते थे। पंडेर का खानसामा, सुरेंद्र कोली, उनके साथ रहता था और उनके कामकाज में मदद करता था। पंडेर का जीवन बहुत ही शाही और उच्च वर्गीय था, जिसमें कई रसूखदार लोग और पॉलिटिशियन आते-जाते रहते थे। वहीं सुरेंद्र कोली, जो अल्मोड़ा, उत्तराखंड का रहने वाला था, इस आलीशान कोठी में मालिक की तरह ऐश करता था जब पंडेर बाहर होते थे।
बच्चों के गायब होने की घटनाओं में अचानक बढ़ोतरी
कोठी के पास से जब बच्चों के गायब होने की घटनाएं तेज हुईं, तो लोगों का ध्यान कोठी की तरफ गया। एक महिला, जो घरों में काम करती थी, अचानक गायब हो गई, और उसका कोई पता नहीं चला। इसके बाद पायल नाम की एक लड़की भी लापता हो गई। पायल का रिक्शा चालक ने बताया कि वह पंडेर की कोठी पर गई थी, लेकिन वहां से लौटकर कभी नहीं आई।
भयानक सच का खुलासा: नरकंकाल और खोपड़ियां
पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लेना शुरू किया, और 29 दिसंबर 2006 को कोठी D-5 पर छापा मारा। वहां से पुलिस को नाले में पॉलीथिन की बोरियों में बच्चों के नरकंकाल और खोपड़ियां मिलीं। एक-एक कर हड्डियों का अंबार लग गया। सुरेंद्र कोली ने बाद में कबूल किया कि उसने इन मासूम बच्चों को पहले गला घोंटकर मारा, उनके साथ दुष्कर्म किया, फिर उनके शवों के टुकड़े-टुकड़े कर दिए। कुछ मामलों में उसने इन शवों के अंगों को पकाकर खा भी लिया था। यह भयानक सच सामने आने पर पूरे देश में सनसनी फैल गई।
अदालती कार्यवाही और दोषियों को सजा
पुलिस की जांच के बाद इस मामले को सीबीआई को सौंप दिया गया। सीबीआई ने सुरेंद्र कोली और मनिंद्र सिंह पंडेर को गिरफ्तार किया और उन पर 16 से अधिक मामलों में मुकदमे दर्ज किए गए। सुरेंद्र कोली को 14 मामलों में दोषी करार दिया गया और उसे फांसी की सजा सुनाई गई। वहीं, मनिंद्र सिंह पंडेर को भी कई मामलों में दोषी पाया गया और फांसी की सजा मिली।
न्याय की उम्मीद में 18 साल का इंतजार और बरी होने की खबर
16 अक्टूबर 2023 को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सुरेंद्र कोली और मनिंद्र सिंह पंडेर को इस मामले से बरी कर दिया। यह खबर पीड़ित परिवारों के लिए एक बड़ा झटका साबित हुई। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि सीबीआई ने इस मामले में साक्ष्यों को सही तरीके से प्रस्तुत नहीं किया। पीड़ित परिवारों ने इस फैसले पर गहरी नाराजगी जाहिर की और सवाल उठाया कि अगर इन दोनों ने उनके बच्चों को नहीं मारा, तो असली कातिल कौन है?
अभी न्याय की उम्मीद बाकी है (Nithari Kand)
इस फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। सीबीआई और पीड़ित परिवार अभी भी न्याय की उम्मीद कर रहे हैं। यह मामला अब भी भारतीय न्यायपालिका के समक्ष है और उम्मीद है कि भविष्य में इसका सही फैसला आएगा।
निष्कर्ष (Nithari Kand)
निठारी कांड (Nithari Kand) भारतीय अपराध इतिहास का एक काला अध्याय है, जिसने न केवल बच्चों की मासूमियत को खून में बदल दिया, बल्कि समाज के संवेदनहीन चेहरे को भी उजागर किया। पीड़ित परिवार आज भी न्याय की उम्मीद में हैं, और उन्हें भरोसा है कि अंततः अपराधियों को उनके किए की सजा मिलेगी।
आपकी राय क्या है?
क्या आपको लगता है कि सुरेंद्र कोली और मनिंद्र सिंह पंडेर को बरी करना सही था? आपकी राय क्या है कि अगर वे दोषी साबित होते, तो उन्हें कौन सी सजा मिलनी चाहिए? अपने विचार हमें जरूर बताएं।